क्या आईपीएल खिलाड़ी टैक्स देते हैं? | do ipl players pay tax,How Do The Players Get Paid in IPL?

इस पोस्ट मे हम जानंगे क्या आईपीएल खिलाड़ी टैक्स देते हैं,do ipl players pay tax,How Do The Players Get Paid in IPL, और भी इससे जिडी जानकारी को लास्ट जरूर पढ़ें। 

Do ipl players pay tax: इनकम टैक्स के नियम के अनुसार फ्रेंचाइजीज भारतीय खिलाड़ियों की सैलरी में 10 परसेंट टीडीएस पहले ही काट लेती हैं। जबकि विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी में 20 पर्सेंट टीडीएस काटा जाता है। खिलाड़ी बीसीसीआई के साथ टाइट एग्रीमेंट साइन करते हैं। ट्राइपॉड टाई एग्रीमेंट का मतलब है जहां तीन पार्टियां किसी भी एग्रीमेंट को साइन करती हैं। 

क्या आईपीएल खिलाड़ी टैक्स देते हैं? | do ipl players pay tax,How Do The Players Get Paid in IPL?

क्या आईपीएल खिलाड़ी टैक्स देते हैं? 

यह एग्रीमेंट बीसीसीआई फ्रेंचाइजीज और प्लेयर के बीच होता है, जिसके तहत अगर किन्हीं कारणों से आईपीएल फ्रेंचाइजी इस खिलाड़ी को पैसे नहीं दे पाती तो बीसीसीआई खिलाड़ी को पैसा देती है और बाद में बीसीसीआई वह पैसे फ्रेंचाइजी के सेंट्रल रेवेन्यू पूल से काट लेती है।

विदेशी खिलाड़ियों के केस में खिलाड़ी को मिले पैसे का 20 पर्सेंट उसके देश के क्रिकेट बोर्ड को भी मिलता है। मान लीजिए एक वेस्टइंडीज के खिलाड़ी को आईपीएल ऑक्शन में ₹5 करोड़ मिले। 

How Do The Players Get Paid in IPL: ऐसे में वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड को भी ₹1 करोड़ मिलेंगे और यह पैसे बीसीसीआई और फ्रेंचाइजीज दोनों आधा आधा देंगे। कुछ कैश रिच फ्रेंचाइजीज एक बार में ही प्लेयर को पैसे दे देती हैं। 

हालांकि सारी फ्रेंचाइजीज प्लेयर को एक बार में पैसे नहीं देती। सैलरी पेमेंट इस बात पर भी अधिकतर निर्भर करता है कि फ्रेंचाइजी को ब्रांड और एंडोर्समेंट से समय से पैसा आ रहा है या नहीं आ रहा। 

अगर सबकुछ सही रहता है तो प्लेयर को पैसे समय से मिल जाते हैं। अधिकतर टीम के खिलाड़ियों को पैसे कुछ इस तरह मिलेंगे। 20 पर्सेंट सीजन के पहले मैच से लेकर 10 दिन के अंदर 60 पर्सेंट। मई के दूसरे हफ्ते में 20 पर्सेंट। 

आईपीएल खत्म होने के बाद जून में। यदि खिलाड़ी सीजन शुरू होने के पहले ही चोटिल होकर आईपीएल से बाहर हो जाता है तो फ्रेंचाइजीज उसे कुछ भी नहीं देती और फ्रैंचाइजी उसकी जगह पर दूसरा रिप्लेसमेंट प्लेयर ले लेती हैं। हालांकि यदि भारतीय खिलाड़ी जो कि बीसीसीआई के कॉन्ट्रैक्ट में है और वह चोट के कारण बाहर होता है तो बीसीसीआई उसको पैसे देती है। 

मान लीजिए एक खिलाड़ी पूरे सीजन उपलब्ध रहा, लेकिन टीम मैनेजमेंट ने उसे किसी भी मैच में नहीं खिलाया। ऐसे में फ्रेंचाइजी को प्लेयर को पूरे पैसे देने होंगे, भले ही उसने कोई मैच नहीं खेला हो और अगर खिलाड़ी ने कुछ मैच खेले हैं तो प्रो रेटा के आधार पर खिलाड़ी को पैसे दिए जाते हैं। अधिकतर फ्रेंचाइजीज टेन परसेंट रिटेनर के आधार पर खिलाड़ी को ऑक्शन प्राइस का 10 पर्सेंट दे देती हैं। 

यदि खिलाड़ी खुद को कॉन्ट्रैक्ट से रिलीज करना चाहता है तो फ्रेंचाइजी से रिलीज कर सकता है। हालांकि फ्रेंचाइजी को उसे फुल टर्म के पैसे देने पड़ेंगे और यदि खिलाड़ी आईपीएल के दौरान चोटिल हो जाता है तो उसके इलाज का खर्च भी फ्रेंचाइजी को उठाना पड़ता है। 

जिस अमाउंट में प्लेयर को ऑक्शन के दौरान खरीदा जाता है, वह अमाउंट ही उसका बेस सैलरी बन जाता है और प्लेयर की बेस सैलरी सिर्फ और सिर्फ प्लेयर को ही मिल सकती है। उसके अलावा उसका कोई भी क्लेमेंट नहीं होता। यानी कि पैसे का दावेदार सिर्फ और सिर्फ खिलाड़ी होता है। 

यह पैसे उसके परिवार या रिश्तेदारों को नहीं दिए जा सकते। प्लेयर की सैलरी पूरे सीजन के हिसाब से होती है। मान लीजिए एक खिलाड़ी 100000000 में बिका और फ्रेंचाइजी से उसका तीन साल का करार हुआ तो इन तीन सालों में अगर प्लेयर पूरे सीजन में उपलब्ध रहता है 

तो उसे पूरे ₹30 करोड़ मिलेंगे। साल दो हज़ार 8 में जब आईपीएल की शुरुआत हुई तो बिड अमाउंट और प्लेयर सैलरी यूएस डॉलर में हुआ करते थे और एक डॉलर की कीमत ₹40 फिक्स थी। 

हालांकि दो हज़ार 12 में यह नीलामी रुपयों में हुई और उसके बाद से अभी तक का सारा ऑक्शन रुपयों में ही होता है। 

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