डकवर्थ लुईस नियम क्या है | what is dls method in ipl in hindi

डकवर्थ लुईस नियम क्या है | what is dls method in ipl in hindi
DLS Kya Hai | डीएलएस क्या है | DLS Full Form | डीएलएस फुल फॉर्म | Full Form Of DLS in Hindi | DLS Full Form in Hindi | DLS Meaning in hindi | DLS Ke Full Form Kya Hota Hai | DLS Kya Hai

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डकवर्थ लुईस नियम क्या है: हेलो गाइज, मैं हूं अभी राज और आप सबका स्वागत है आज का टॉपिक है मेरा पर्सनली वन फेवरेट टॉपिक है। हम बात कर रहे हैं डीएलएस यानी की डकवर्थ लुईस मैथड की जिसका यूज किया जाता है (what is dls method in ipl in hindi) क्रिकेट में जब एक मैच बीच में ही रुक जाता है। बारिश की वजह से रुक जाता है। कोई भी इंटरेक्शन होता है तो विनिंग टीम डिसाइड करने में या फिर टारगेट को मोडिफाई करने में इसका यूज होता है। तो ये किस तरीके से काम करता है, क्या इसका बेसिस है? इस पोस्ट में हम इसी के बारे में बात करेंगे तो फटाफट से शुरू करते हैं। 

डीएलएस का पूरा नाम क्या है? - what is the full form of dls

इस डीएलएस का पूरा नाम है डकवर्थ लुइस टर्म मेथड जो कि तीन मैथमेटिक्स के नाम के ऊपर बेस्ड है। पहले इसका नाम सिर्फ डकवर्थ लुईस मेथड ही था। बाद में जो स्टंट एड कर दिए गए। थाउजेंड फोटी में दो मैथमेटिक्स थे फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस जोकि इस रूल को लेकर आए थे जिनका आइडिया था। 

Dls आवश्यकता क्यों है? - Why is dls needed? 

दोस्तों क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसमें अगर बारिश आ जाती है तो मैच को रोकना ही पड़ता है। इसके अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं होता। टाइम का लॉस होता है। इसी वजह से या तो ओवर्स कम करने पड़ते हैं या फिर मैच हो सकता है। आगे कंटीन्यू ना हो पाए तो उस केस में हमें ऐसे रूल की जरूरत थी जो कि एक फेयर रिजल्ट निकालकर ला सके। 

एक निष्पक्ष परिणाम जिससे कि टीम को किसी भी टीम को नुकसान भी नहीं हो और एक रिजल्ट हमारे सामने आ जाए। ऐसे एक मैथड की जरूरत थी जोकि था डीएलएस मैथड जिसका नाम पहले डकवर्थ लुईस था। इस डीएलएस से पहले भी कई मैथड थे जिनका यूज किया जाता था टारगेट को मोडिफाई करने में जैसे कि एवरेज रन रेट मेथड, मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर मेथड। 

DLS कमियां

लेकिन इनमें काफी फ्लोर्स थे। काफी कमियां थी। सबसे बड़ी कमी तो ये थी कि इनमें विकेट का कोई रोल नहीं होता था। यानि कि भले ही टीम के पास में एक विकेट बचाए, भले 10 बच्चे हैं सिर्फ रन को देखा जाता था जोकि अपने आप में एक सही बात नहीं है। लेकिन रूल तो उस टाइम यही थे। बाद में जो है डकवर्थ लुईस आया था। तो अगर बात करें पुराने रूल्स के हिसाब से कि क्या दिक्कत हो रही थी। 

एक एग्जाम्पल लें तो वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड वर्सेज साउथ अफ्रीका का मैच था। सेमीफाइनल मैच था और अफ्रीका को चाहिए थे। सेकंड इनिंग में जीतने के लिए 22 रन 13 बॉल्स में था टीम बॉल्स में ट्वेंटी टू रन का टारगेट था और बारिश आ गई। 12 मिनट के लिए मैच रुक गया तो उस केस में मोस्ट प्रोडक्टिव और मेथड से डिसीजन निकाला गया। टारगेट को मोडीफाई किया गया और अब अफ्रीका को चाहिए थे। 12 मिनट के बाद में उसको चाहिए थे 21 रन एक बॉल में। 

यानि कि अफ्रीका का टारगेट हो गया ट्वेंटी टू फ्रॉम वन जो कि कैसे बनेगा यार। सीधा सीधा इनजस्टिस हुआ अफ्रीका के साथ में जहां उसको 13 बॉल में 22 चाहिए। अब 21। एक बोल में कैसे बनाएगा गाइस पहले जो मेथड्स थे वो सिंपल थे। डीएलएस इतना सिंपल नहीं है। डिपेंड करता है कि कौन से ओवर में मैच रुका है। कौन सी इनिंग में मैच रुका है। उसी के बेस पर टारगेट मोडिफाई होता है तो डीएलएस काम करता है। 

टीम के अवेलेबल रिसोर्सेज के ऊपर रिसोर्सेज का मतलब है ?

एक टीम के रन बनाने की कैपेसिटी। अब जो टीम है वो क्या चीज यूज करके रन बनाती है। तो एक तो वो बॉल्स यूज करती यानी कि ओवर यूज करती है और दूसरी बात है कि कितने विकेट हाथ में हैं। अगर ज्यादा विकेट हमारे पास है तो ज्यादा रन बनेंगे। अगर ज्यादा बॉल्स बची हैं, ज्यादा ओवर्स बचे हैं तो भी ज्यादा रन बनेंगे। सो परसेंट रिसोर्सेज जाने की एक टीम के हंड्रेड परसेंट रिसोर्सेस का मतलब है वनडे में 50 ओवर और 10 विकेट। बिल्कुल सिंपल है। 

यानी कि अगर एक टीम के पास 100 परसेंट रिसोर्स बचे हुए हैं उसका मतलब है कि 50 ओवर भी बचे हुए हैं और 10 विकेट भी हाथ में हैं। लेकिन अगर मैच बीच में रुकता है तो कुछ ओवर्स भी खेल लेते हैं और विकेट भी गिर जाते हैं। तब देखा जाता है कि इस टीम के पास में अब कितने रिसोर्सेज बचे हुए हैं। यानी कि अगर ये मैच नहीं रुकता तो ये टीम कितने रन बना सकती थी इसके पुराने परफोरमेंस के ऊपर। 

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दोस्तों ये जो रिसोर्सेज की अमाउंट है कितने परसेंट बचे हुए हैं ये कैलकुलेट किया जाता है टेबल के बेसिस पर। वह टेबल फिक्स है पहले से डिफाइन है। यानी कि अगर इतने ओवर्स बचे हैं, इतनी विकेट बची है तो पहले से फिक्स है कि इसका मतलब इतने रिसोर्सेज बचे हैं। और ये जो है एक टेबल एक कंप्यूटर के अंदर होती है, उसके अंदर टारगेट डाला जाता है पिछली वाली टीम का, फर्स्ट इनिंग वाली का और सेकेंड वाले का निकलकर के आ जाता है कि अब इस टीम को इतने रन पर होना चाहिए था तो ये टीम जीत गई। 

अगर नहीं है तो हार गई। अब गाइज। कई केसेस हो सकते हैं। डिपेंड करता है मैच के रुकने के ऊपर। मान लीजिए मैच फर्स्ट इनिंग में रुका है और एक टीम ने 15 ओवर खेल लिए। मैच रुक गया और अब जो मैच है सिर्फ थर्टी फाइव ओवर का कर दिया गया। इस केस में जो सेकंड वाली टीम है उसको तो शुरू से पता होता है कि हमारे पास में 35 ओवर हैं तो वह आराम से जो खेल सकते हैं उनको विकेट की ज्यादा टेंशन नहीं होगी क्योंकि 35 ओवर में कम ही रन बनाने होंगे। 50 ओवर में ज्यादा रन बनते लेकिन फर्स्ट वाली टीम को 15 वर्ष तक तो नहीं पता था कि हमारे पास में 35 ओवर होने वाले हैं। वो तो सोच रहे थे कि हमें 50 ओवर खेलने हैं। उस हिसाब से खेल रहे थे।

उनको पता थोड़े था कि बीच में ओवर कम हो जाएंगे तो उनके साथ में अनफेयर हो जाएगा। अगर वही टारगेट सेकंड वाली टीम को दे दिया जाएगा जितने उन्होंने 35 ओवर में बनाए तो उस केस में होता यह है कि उस टारगेट को मॉडिफाई किया जाता है। जनरल टारगेट बढ़ा दिया जाता है और सेकंड वाली टीम को ज्यादा टारगेट मिलता है, क्योंकि उसके पास में ओवर कम है और विकेट पूरे हाथ में है। अगर मैच सेकंड इनिंग के दौरान रुकता है, तो देखा जाता है कि टीम के पास में कितने रिसोर्सेस अवेलेबल हैं और कितने रन उसको बनाने हैं

यानी कि उस टीम के अब रन बनाने। कैपेसिटी कितनी है? मान लीजिए एक टीम के पास में फिफ्टी परसेंट रिसोर्सेज बचे हुए हैं। सबसे पहली बात तो फिफ्टी परसेंट रिसोर्सेज का मतलब बिल्कुल नहीं है कि टीम के पास में 25 ओवर और पाँच विकेट बचे हुए हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं होता। वह जो एक फिक्स टेबल है, उसी के हिसाब से कैलकुलेट होता है। इतने बॉल्स पर, इतने विकेट पर, इतने रिसोर्सेज। 

हम बोलेंगे तो उस केस में मान लीजिए कि फिफ्टी परसेंट से बचे हुए हैं और जो टारगेट था उससे उसके फिफ्टी परसेंट से ज्यादा रन बन चुके हैं। और फिफ्टी परसेंट रिसोर्सेज फिर भी बचे हुए हैं तो उस केस में टीम जीत जाएगी। अगर जो टारगेट था उसके फिफ्टी परसेंट से कम रन बने हैं। जबकि रिसोर्सेज सिर्फ 50 ही बचे हैं। तो जो टीम है वह हार जाएगी। बिल्कुल सिंपल है। 

यानी कि जिस हिसाब से टीम चल रही है। अगर लगता है कि इस हिसाब से चलती रहेगी तो जीत जाएगी तो वहां पर जो टीम को जीत दी जाती है वरना हार जो है टीम को मिलती है। दोस्तों लिमिटेड ओवर मैचेस में अगर वनडे की बात करें तो मिनिमम। सेकंड इनिंग में 20 ओवर खेलने जरूरी होते हैं। अगर सेकंड वाली टीम 20 से कम ओवर में होती है तो डिसाइड डिसाइड नहीं हो सकता कौन सी टीम जीतेगी और टी ट्वेंटी मैच में यह जो है पांच ओवर का होता है। 

इसका मतलब टी ट्वेंटी मैचेस में सेकंड वाली टीम को कम से कम पांच ओवर खेलने होते हैं और वनडे में कम से कम 20 ओवर खेलने होते हैं। अगर मैच का रिजल्ट आना है डकवर्थ लुइस के हिसाब से। 

FAQs - what is dls method in ipl in hindi

What is the Duckworth-Lewis method of cricket?

DLS method mukhyatah limited-overs format mein lagu hota hai, jisme ODI bhi shamil hai.

What is DLS formula par bharosa karne mein kitni satikta?

DLS formula lagatar sudhar par jata hai, jisse ye bahut satik anumanakarta banta hai.

What is the Duckworth-Lewis system?J

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अंतिम बात -  what is dls method in ipl in hindi

आज के लिए इस पोस्ट में बस इतना ही अगर आपको पोस्ट अच्छी लगी है तो उसे जरूर से शेयर कर दीजिए इस पोस्ट मे हमने बताया  what is dls method in ipl in hindi आशा करता हु इस पोस्ट को दोस्तों के सेह शेयर करेंगे 

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